रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड भारतीय रेलवे की एक नवरत्न PSU है, जो टेलीकॉम, IT, और रेलवे सिग्नलिंग में विशेषज्ञता रखती है। 2000 में स्थापित, यह कंपनी रेलवे के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और सुरक्षा अभियान में अहम भूमिका निभा रही है। रेलटेल का ‘कवच’ सिस्टम, स्मार्ट सिग्नलिंग, और ट्रेन कोचों के लिए IoT-आधारित बस्ते इसके प्रमुख उत्पाद हैं। कंपनी की ऑर्डरबुक हाल ही में ₹7,000 करोड़ को पार कर गई है, जो इसके मजबूत ग्रोथ आउटलुक को दर्शाता है।
‘कवच’ सिस्टम: रेलवे सुरक्षा का गेमचेंजर
‘कवच’ एक स्वदेशी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम है, जो रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह Safety Integrity Level-4 (SIL-4) मानकों को पूरा करता है और माइक्रोप्रोसेसर, GPS, और रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग करता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं:
- स्वचालित ब्रेकिंग: अगर दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर 5 किमी की दूरी के भीतर आती हैं, तो कवच स्वतः ब्रेक लगा देता है।
- सिग्नल जंप प्रिवेंशन: लाल सिग्नल को अनदेखा करने पर ट्रेन ऑटोमेटिक रुक जाती है।
- लागत-प्रभावी: प्रति किमी ₹50 लाख की लागत, जो वैश्विक सिस्टम्स (₹2 करोड़/किमी) से सस्ती है।
रेलटेल ने क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक लिमिटेड के साथ मिलकर कवच के कार्यान्वयन को तेज किया है। सरकार ने 2,000 किमी रेल नेटवर्क को 2022-23 में कवच से लैस करने का लक्ष्य रखा था, और अब तक 1,465 किमी (दक्षिण मध्य रेलवे) और 144 लोकोमोटिव्स पर इसे लागू किया जा चुका है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट्स (लगभग 3,000 किमी) पर भी काम चल रहा है।
₹7,000 करोड़ की ऑर्डरबुक
रेलटेल की ऑर्डरबुक में न केवल कवच, बल्कि अन्य तकनीकी प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं:
- स्मार्ट बस्ते: IoT-आधारित स्मार्ट बस्ते ट्रेन कोचों में यात्री सुविधाओं (जैसे, सीट मॉनिटरिंग, AC कंट्रोल) को बेहतर बनाते हैं। रेलटेल को हाल ही में ₹500 करोड़ के ऑर्डर मिले हैं।
- सिग्नलिंग और ब्रॉडकास्टिंग: रेलटेल ने ₹1,200 करोड़ के सिग्नलिंग प्रोजेक्ट्स और ₹800 करोड़ के ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम ऑर्डर्स हासिल किए हैं।
- टेलीकॉम प्रोजेक्ट्स: रेलवे स्टेशनों पर 4G/5G कनेक्टिविटी और Wi-Fi के लिए ₹2,000 करोड़ के ऑर्डर।
- कवच ऑर्डर्स: ₹3,500 करोड़ के कवच-संबंधित ऑर्डर, जिसमें 1,500 किमी रूट और 200 लोकोमोटिव्स शामिल हैं।
कंपनी की कुल ऑर्डरबुक Q4 FY25 में ₹7,200 करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले साल के ₹5,800 करोड़ से 24% अधिक है।
फाइनेंशियल हाइलाइट्स (FY25)
- रेवेन्यू: ₹3,052.38 करोड़ (21% YoY ग्रोथ)
- नेट प्रॉफिट: ₹245.75 करोड़ (18% YoY ग्रोथ)
- EBITDA मार्जिन: 18.2%
- मार्केट कैप: ₹16,750 करोड़ (20 जून 2025)
- P/E रेशियो: 68.24 (सेक्टर P/E: 45.60)
- ROE: 14.85% (5 साल का औसत: 13.2%)
- Debt-to-Equity: 0.05 (मजबूत बैलेंस शीट)
रेलटेल ने ₹0.85 का डिविडेंड घोषित किया, जो निवेशकों के लिए आकर्षक है। प्रमोटर होल्डिंग 72.84% (सरकार के स्वामित्व में) और DII होल्डिंग 10.32% है, जो कंपनी में विश्वास दर्शाता है।
ब्रोकरेज रेटिंग्स और टारगेट प्राइस
- Motilal Oswal: ‘Buy’ रेटिंग, ₹580 टारगेट (20% अपसाइड), कवच और टेलीकॉम ऑर्डर्स पर फोकस।
- ICICI Securities: ‘Add’ रेटिंग, ₹550 टारगेट, रेलवे के ₹2.62 लाख करोड़ बजट का लाभ।
- HDFC Securities: ‘Hold’ रेटिंग, ₹520 टारगेट, उच्च P/E को देखते हुए सतर्कता की सलाह।
ब्रोकरेज फर्म्स का मानना है कि रेलवे के ‘अमृत भारत स्टेशन’ और नेट-जीरो 2030 लक्ष्यों के कारण रेलटेल को लंबी अवधि में फायदा होगा।
निवेशकों के लिए सलाह
- लॉन्ग-टर्म निवेशक: रेलटेल की मजबूत ऑर्डरबुक, सरकारी समर्थन, और रेलवे के ₹1.08 लाख करोड़ सिक्योरिटी बजट (बजट 2024) इसे आकर्षक बनाते हैं। भारत का रेलवे आधुनिकीकरण 2030 तक ₹15 लाख करोड़ का अवसर पैदा करेगा।
- शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स: ₹480-₹500 का सपोर्ट जोन और ₹550-₹580 का रेजिस्टेंस जोन महत्वपूर्ण है। कवच से संबंधित नए ऑर्डर या Q1 FY26 रिजल्ट्स शेयर में उछाल ला सकते हैं।
- जोखिम प्रबंधन: उच्च P/E रेशियो (68.24) और बाजार अस्थिरता को देखते हुए स्टॉप-लॉस सेट करें। किसी सर्टिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।
क्यों है रेलटेल खास?
- कवच का नेतृत्व: रेलटेल कवच सिस्टम का प्रमुख कार्यान्वयनकर्ता है, जो 2030 तक 50,000 किमी रेल नेटवर्क को कवर कर सकता है।
- डायवर्सिफाइड ऑर्डरबुक: कवच के अलावा, टेलीकॉम, सिग्नलिंग, और IoT प्रोजेक्ट्स कंपनी को स्थिर ग्रोथ देते हैं।
- सरकारी समर्थन: नवरत्न PSU होने के कारण रेलटेल को रेलवे और सरकार से लगातार प्रोजेक्ट्स मिलते हैं।
निष्कर्ष
रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और सुरक्षा अभियान में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। ₹7,200 करोड़ की ऑर्डरबुक, कवच सिस्टम की बढ़ती मांग, और डायवर्सिफाइड प्रोजेक्ट्स इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। हालांकि, उच्च P/E और बाजार की अस्थिरता को देखते हुए सतर्कता जरूरी है। लंबी अवधि के निवेशक रेलवे के डिजिटल और सिक्योरिटी ट्रांसफॉर्मेशन से लाभ उठा सकते हैं।
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